दस्तूर है ज़िंदगी का निभा दीजिए,
नहीं है मन फिर भी ज़रा मुस्कुरा दीजिए।
कौन मिलता है किसी से बिना सवारथ के,
हर किसी को न घर का पता दीजिए।
फ़ुर्सत कहाँ है दोस्तों को भी आजकल,
दिल की बात दिल में ही दबा लीजिए।
नक़ाब के पीछे चेहरा है या नक़ाब ही है चेहरा,
इतने जल्दी न किसी को दिल में जगह दीजिए।
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