गुरुवार, 1 अक्तूबर 2020

ब्लॉग का पुनर्जन्म

इस ब्लॉग को दोबारा जीवंत करने में एक मोहतरमा का बहुत बड़ा हाथ है. इन मोहतरमा ने हमसे पूछा की ब्लॉग लिखने की शुरुवात कैसे करें? और हमारा तो जन्म ही लोगों की मदद करने के लिए हुआ है, सो हमने तुरंत उनको रस्ता दिखा दिया। इन सब बातों के बीच हुआ ये कि हमें भी अपने सदियों पुराने ब्लॉग की याद आ गयी. जब ढूंढा तो पाया की ब्लॉग अभी भी जीवित है. इसके लिए मैं गूगल का सदा आभारी रहूँगा। अगर हमारी ज़िन्दगी में गूगल न हो तो...... ये सोच कर ही डर लगता है. 

तो बात हो रही थी उन मोहतरमा की. अब रिश्ते में तो हम इन मोहतरमा के जीजा लगते हैं, और नाम है .......... अरे नहीं, शहंशाह नहीं है. विडम्ब्ना ये है कि हम जिन सालियों के जीजा लगते हैं, वो सब हमे भइया बुलाती हैं. इस सब के पीछे बड़ी लम्बी कहानी है. खैर जाने दो..... बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी। पर ये मोहतरमा बहुत ही गुणी हैं. इनके ब्लॉग की शुरुवात भी देखी और लगे हाथ इनके ब्लॉग पर पहला पहला कमेंट भी चिपका दिया। शायद अब इनसे कुछ नया सीखने को मिलेगा। और सीखने में तो हम शुरू से ही आगे रहे हैं. सीखने का क्या है, किसी भी उम्र में सीखा जा सकता है. और अभी हमारी उम्र ही क्या है. 

तो सज्जनों, आज के लिए इतना ही. जल्द ही मिलूंगा अपने स्कूल टाइम के दोस्तों के व्हाट्सएप्प ग्रुप के बारे में बताने के लिये। तब तक के लिए..... स्वस्थ रहें.... मस्त रहें......

2 टिप्‍पणियां:

Payal Soni ने कहा…

वाह क्या बात!!! बहुत ख़ुशी हुई, आपके ब्लॉग को देखकर भी और पहला पोस्ट पढ़कर भी. बहुत धन्यवाद हमें इसका हिस्सा (और किस्सा) बनाने के लिए। आगे भी आपको परेशान करती रहूंगी, ये तो आपको पता ही होगा।

Anju ने कहा…

Wah PP tumhari shayari to school grp me jab tab enjoy karte hi rehte ha ab blog bhi enjoy karne ko milega ������