जी हाँ ! आज के टेक्नोलॉजी के युग मे सब कुछ संभव है। वो दिन गए, जब हम कहते थे कि दर्पण झूठ नहीं बोलता। अब इस को देख कर लगता है कि दर्पण भी कभी कभी झूठ बोलता है।
बहुत सही पुष्पेन्द्र बाबू। अमां तुम तो ब्लॉग ऐसे लिखते हो, जैसे कोई क्वाटरली इंश्योरेंस की प्रीमियम देता है। अबे रोज लिखा करो, इत्ती अच्छी अच्छी छिपाकर रखते हो।
'शीशा हो या दिल हो आखिर टूट जाता है' बहुत खूब आपके इस क्रिएटिविटी को देखकर उनका दिल टूट गया होगा जो ये कहते हैं कि दर्पण झूठ नहीं बोलता है । वैसे मेरा मानना तो ये है कि दर्पण झूठ नहीं बोलता बिल्कुल उल्टा बोलता है ....शीशे में हर चीज़ उल्टी ही तो दिखाई पड़ती है ।
7 टिप्पणियां:
बढ़िया दर्पण हैं।
कहाँ मिलता है? :)
बहुत सही पुष्पेन्द्र बाबू।
अमां तुम तो ब्लॉग ऐसे लिखते हो, जैसे कोई क्वाटरली इंश्योरेंस की प्रीमियम देता है। अबे रोज लिखा करो, इत्ती अच्छी अच्छी छिपाकर रखते हो।
और धन्धा पानी कैसा है?
Aha :) How wonderful your blog is !
Well, this is Pushpendra.
You can personally write me at pushpendra@writeme.com
'शीशा हो या दिल हो आखिर टूट जाता है' बहुत खूब आपके इस क्रिएटिविटी को देखकर उनका दिल टूट गया होगा जो ये कहते हैं कि दर्पण झूठ नहीं बोलता है । वैसे मेरा मानना तो ये है कि दर्पण झूठ नहीं बोलता बिल्कुल उल्टा बोलता है ....शीशे में हर चीज़ उल्टी ही तो दिखाई पड़ती है ।
aap bilkul sach bol rahe hai.
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